"ज़मज़मा"(रुबाइ)

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"कोई   मेरे   सिवा उसका   निशां पा ही  नहीं सकता !  कोई उस क़ातिलाने-नाज़  तक  जा  ही  नहीं सकता!!  वो  चिंगारी है लेकिन फूंक  सकती   है   गुलिस्तां   ...

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